सुखकर्ता दुखहर्ता श्रीगणेशा विघ्न विनाशका गजमुख वक्रतुंड रिद्धि सिद्धिके तुम दाता सुखकर्ता दुखहर्ता श्रीगणेशा विघ्न विनाशका गजमुख वक्रतुंड रिद्धि सिद्धिके तुम ...
शब्द हैं तो गजल गीत रस छंद हैं शब्द से ही अलंकार सम्भव हुये शब्द हैं तो गजल गीत रस छंद हैं शब्द से ही अलंकार सम्भव हुये
जब कोई झोका हवा का मन को छू जाता है। जब कोई झोका हवा का मन को छू जाता है।
शिव हूँ मैं शक्ति हूँ मैं स्थिर हूँ मैं निरंतर भी मैं शिव हूँ मैं शक्ति हूँ मैं स्थिर हूँ मैं निरंतर भी मैं
छुप के निकली गोरी रंग लिए बैठा की जम के बरजोरी। छुप के निकली गोरी रंग लिए बैठा की जम के बरजोरी।
बूढी होने पर आप कैसा दिखना चाहेंगे...? अपनी माॅं की तरह ही...? बूढी होने पर आप कैसा दिखना चाहेंगे...? अपनी माॅं की तरह ही...?